अनुवाद व्यवसाय: ज्ञान में वृद्धि और आर्थिक समृद्धि

आर्थिक मुद्दों से लेकर दुनिया के भूगोल तक, तेल और गैस उद्योग से लेकर पर्यावरण के किसी भी विषय पर आप साधिकार बोल सकते हैं। आपके पास हैं अकाट्य तर्क, ताज़ा आंकड़े और हाल ही में होने वाले किसी अध्ययन के परिणाम। अपने काम के घन्टे आप स्वयं तय करते हैं, किसी व्यक्तिगत प्राथमिकता की स्थिति में कुछ समय काम नही करने का विकल्प भी आप अपना सकते हैं। किसी व्यवसाय के समान ही आपको महीने के किसी भी समय पर धन की प्राप्ति हो सकती है। आपका तकनीकी पक्ष भी मजबूत है और आप भाषा पर भी खासा अधिकार रखते हैं।

जी हां, अमूमन यही कार्यपद्धति और जीवन शैली होती है किसी भी भाषा प्रेमी की, जिसने अनुवाद को व्यवसाय के रुप में चुना है। इंटरनेट की देन और तकनीक का मेल आज आपकी भाषा पर बेहतर पकड़ की विशेषता को एक उत्तम करियर विकल्प के रुप में सामने लाता है। अब अनुवाद व्यवसाय केवल घर बैठकर काम करने की इच्छा रखने वाली गृहिणी, परिवार के काम के साथ थोड़ा स्वावलंबन चाहने वाली महिला या सेवानिवृत्त शिक्षकों की श्रेणी से अलग अपना स्वतंत्र पथ बना चुका है।

अब सोच समझकर युवा ’फ्रीलांसर’ बन रहे हैं। जिस भाषा में मांग ज्यादा है उसे सीख रहे हैं और नियमित रुप से अपने तकनीकी, भाषा और विविध विषयों के ज्ञान को अद्यतन बना रहे हैं।

क्यों आवश्यकता है अनुवाद की:

सामान्य व्यक्ति केवल अनूदित पुस्तक, विज्ञापन और फिल्मों के सबटायटल्स तक ही अनुवाद के क्षेत्र को लेकर सजग होता है। परंतु शिक्षा, चिकित्सा, मानव संसाधन, तकनीक, खेल, सेवा क्षेत्र तथा राजनीति तक, वैश्वीकरण के इस दौर में आपको अनुवाद की आवश्यकता प्रत्येक कदम पर पड़ती है। आप यदि पूरे देश की जनता तक पहुंचना चाहते हैं, तब आपको उनकी भाषा में ही अपनी बात पहुंचानी होगी। यही कारण है कि उपभोक्ता वस्तुओं से लेकर शिक्षा क्षेत्र की कंपनियां, एनजीओ, सेवा क्षेत्र की कंपनियों से लगाकर फार्मा कंपनियां भी अनुवादकों के लिये बेहतर काम मुहैया करवाती हैं।

पुस्तक प्रकाशक, फिल्म व टेलीविजन के निर्माता, विज्ञापन और प्रचार के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के लिये अनुवादक एक महत्वपूर्ण घटक है।

कौन हो सकता है अनुवादक:

भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखें, तो अनुवादक होने की विशेषता आसानी से मिल सकती है क्योंकि बोलचाल की भाषा हिन्दी या स्थानीय, समझ बूझ सकने की भाषा के रुप में मातृभाषा और शिक्षा प्राप्त करने के लिये अंग्रेजी या अन्य कोई भाषा, इस प्रकार से तीन भाषाएं सामान्य रुप से अधिकांश भारतीयों को ज्ञात होती है। इसके आगे यदि आप भाषा को लेकर सजग है, पढ़ने लिखने में आपकी रुचि है और शब्दों से खेलने को लेकर आप रोमांचित रहते हैं, तब अवश्य इस बारे में सोचिये।

सामान्य रुप से एक बेहतर लेखक अपनी भाषा में अनुवाद भी बेहतर कर लेता है। सही व्याकरण, वर्तनी की शुद्धता और अपनी भाषा को लेकर अपनेपन का एक अलहदा अन्दाज़ आपको सही तरीके से स्थापित होने में मदद करता है। इसके अलावा भाषा में कोई डिग्री, आपकी रचनाओं या पुस्तकों का छपना, शोध पत्र, आपके संवाद के तरीके से भी इसमें सहायता मिलती है।

काम कहां से आता है

अनुवाद के काम में रुचि रखने वाले व्यक्तियों का सबसे पहला प्रश्न यह होता है कि आपके पास काम कैसे आएगा? सबसे पहली बात तो यह जान लें कि काम आपके पास आता नही, आपको खोजना होता है और स्वयं वहां तक जाना होता है। अच्छी खासी संख्या में अनुवाद एजेन्सियां काम करती हैं, जहां पर आप स्वयं को पंजीकृत करवा सकते हैं। आप सीधे प्रकाशकों से संपर्क कर पुस्तक अनुवाद के लिये संपर्क कर सकते हैं। अनेक वेब पोर्टल है जो अनुवादक और अनुवाद की सेवाएं प्राप्त करने के इच्छुक पक्षों के मध्य एक मंच के समान काम करते हैं। इन सभी माध्यमों पर सक्रिय रहने से आपको काम मिलने में आसानी होती है।

कैसे किया जाए काम

यह सही है कि कोई भी कंपनी किसी नौसीखिये को अपना काम नही देती, उनसे पहले का अनुभव मांगा जाता है। अनुवाद के नमूने दिखाने या छोटा सा काम मुफ्त में कर देने की मांग रखी जाती है जो कि जायज़ भी है। आप यदि आराम से, घर बैठे पैसे कमाना चाहते हैं, तब आपको अपनी प्रतिभा को सिद्ध तो करना ही होगा।

बेहतर यह होता है कि विविध विषयों के कुछ अनुवाद स्वयं ही किये जाएं और उन्हे आप अनुवाद के नमूने के बतौर पेश कर सकते हैं। इस विधा में आपका तकनीकी रुप से मजबूत होना और संवाद में तेज़ी रखना ज़रुरी है। कंपनियों के पास जो उपलब्ध डेटाबेस होता है, उसमें से वे आवश्यकतानुसार अनुवादकों का चयन करते हैं। ज़ाहिर सी बात है कि जो उन्हे तत्परता से सारी जानकारी मुहैया करवाता है, काम भी उसी को मिल जाता है।

आपको अपना परिचय समय समय पर नवीन बदलाव के साथ प्रस्तुत करना चाहिये। अपनी वेबसाईट या वेबपेज बनाकर, मार्केटिंग के नवीन तरीके अपनाकर भी व्यवसाय को बढ़ाया जाता है लेकिन एक संतुष्ट ग्राहक की तारीफ आपको बेहतर और स्थायी नवीन व्यवसाय दिलाने में ज्यादा मदद करती है।

इसके अलावा विविध प्रकार के शब्दकोश, अनुवाद संबंधी फोरम, अनुवाद के लिये दिये जाने वाले निर्देशों का सही पालन और सही समय पर काम पूरा करना व पूरी गुणवत्ता के साथ काम करना महत्वपूर्ण है।

घर पर ही तो है…. गलत

आप घर पर ही हैं इसलिये कभी भी काम शुरु कर सकते हैं, आपके कोई बॉस नही है इसलिये कोई भी काम कभी भी कर सकते हैं या ना भी करें, कोई फर्क नही पड़ता…. ये सब कुछ इस व्यवसाय में लंबे समय तक नही चलता। यदि आप घर पर हैं, तब भी काम तो महत्वपूर्ण है ही। यदि आपके काम के घन्टों के बीच कोई घरेलू प्राथमिकता आ जाती है, तब आपको आधी रात तक जागकर भी अपना प्रोजेक्ट पूरा करने की हिम्मत रखनी होती है।

अंत में यही बात आती है कि आप तैयार होकर, तयशुदा समय में किसी कार्यालय में काम करें या फिर घर में रहकर आराम से अपने समय के अनुरुप काम करें, आपका समर्पण और नियमितता ही आपको किसी भी काम में मदद दिला सकती हैं।

तो तैयार हो जाईये भाषा को मित्र बनाने के लिये, यह व्यवसाय आपके ज्ञान में वृद्धि भी करेगा और आपको आर्थिक रुप से समृद्ध भी बनाएगा।

 

 

अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस: अपनी भाषा का उत्सव

संत जेरोम द्वारा किये गए बाईबल के हिब्रू से लेटिन भाषा में अनुवाद के आधार पर, उसे अनुवाद प्रक्रिया का प्रारंभ मानते हुए ३० सितंबर को प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाया जाता है। आज तकनीक के विस्तार के साथ ही भाषा केवल एक संवाद का माध्यम भर नही रह गई है। अवसरों की बारिश में सभी भीगना चाहते हैं, अपनी भाषा को सीढ़ी बनाकर ऊपर चढ़ना चाहते हैं। और अच्छी बात यह है कि भाषा किसी मां के समान, सभी को समान भाव से वात्सल्य बांटती भी है।

किसी विशेष भाषा का दिवस उसके उत्थान, प्रचलन और भक्ति का दिवस हो सकता है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस विश्व की सभी भाषाओं का उत्सव है। आज हम प्रत्येक संस्कृति में झांककर देखना चाहते हैं, प्रत्येक भौगोलिक भाग की विशेषताओं को जीकर देखना चाहते हैं। संगीत के स्वरों के समान ही आज भाषायी शब्द भी ह्र्दय से ह्र्दय तक पहुंचने का हुनर रखते हैं।

अनूदित पुस्तकों के माध्यम से हम संस्कृति, सोच, साहित्य और मानवीय सोच की विविधताओं से रुबरु होते हैं। वहीं क्लासिक से परे वर्तमान में आवश्यक सामग्री को विविध भाषाओं में उपलब्ध कराने पर उसकी उपयोगिता बढ़ जाती है, उपयोगकर्ता बढ़ जाते हैं और वह सामग्री ’ग्लोबल’ या ’वैश्विक’ की श्रेणी में शामिल हो जाती है।

अनुवाद के लिये प्रकाशन समूहों से लेकर दैनिक अखबार, अनुवाद एजेन्सियों से लेकर ई लर्निंग कंपनियां तक बेहतर विकल्पों की खोज में रहते हैं। सरकारी योजनाओं से लेकर दैनिक विज्ञापनों तक, उपभोक्ता वस्तुओं के विपणन से लेकर फार्मा कंपनियों तक, शिक्षा, मानव संसाधन, तकनीक, खेल, सेवा क्षेत्र तथा राजनीति तक का कोई भी क्षेत्र अनुवाद की आवश्यकता से अछूता नही है।

भारतीय परिवेश तो वैसे भी अनुवादन व्यवसाय के लिये सबसे उर्वर माना जाता है। यहां पर बोलचाल की भाषा हिन्दी या स्थानीय, समझ बूझ सकने की भाषा के रुप में मातृभाषा और शिक्षा प्राप्त करने के लिये अंग्रेजी या अन्य कोई भाषा, इस प्रकार से तीन भाषाएं सामान्य रुप से अधिकांश भारतीयों को ज्ञात होती है। सर्वाधिक प्रान्तीय या प्रादेशिक भाषाएं भी भारत की विशेषता है। इसका अर्थ है कि अनुवाद करने के लिये आवश्यक गुण भी भारतीयों में है और अनुवाद व्यवसाय के लिये बेहतर अवसर भी यहां मौजूद है।

इसके अलावा, वर्तमान में आपके क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा की आवश्यकता केवल उसी स्थान विशेष तक सीमित नही है। मनुष्य विश्व का नागरिक अवश्य बन गया है लेकिन जिस मिट्टी से उसकी जड़ों को प्रारंभिक पोषण मिला है, उसमें प्रमुख घटक है उसकी अपनी भाषा। सुदूर विदेशों में, धन और सुविधाओं से अटे पड़े घर में जब व्यक्ति अपनों से दूर होता है, तब उसे बाल कक्षाओं में समवेत स्वर में गाई जाने वाली पंक्तियां भी किसी स्वर्ग से कम नही लगती।

ये तो हुआ अनुवाद का संवेदनात्मक पहलू, लेकिन व्यावसायिकता के दौर में अनुवाद कहीं से भी किसी सेवा क्षेत्र के उत्पाद से कम नही है। बड़े वातानुकूलित कार्यालय में विदेशी शब्दकोश से जूझते अनुवादक हो या घर में सब्जी छौंककर उसे धीमी आंच पर पकने के अन्तराल में अपना अनुवादन प्रोजेक्ट पूरा करने वाली फ्रीलान्सर गृहिणी, प्रोफेसर्स के शोध प्रपत्रों का अनुवाद कर उन्हे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भेजने वाले विद्यार्थी हो या किसी उपन्यास को अनूदित करने वाला एक साहित्यिक! ये सभी अनुवाद के साथ केवल शब्दों के संबंध और साहित्यिक अभिलाषा की पूर्ति के लिये नही जुड़े हैं। व्यावसायिक रुप से इन सभी को तकनीक और भाषा ज्ञान के साझे सहयोग से अपनी सेवाओं का उचित प्रतिदान मिलता है।

अनुवाद उद्योग के बारे में सबसे अच्छी बात यह रही है कि वैश्विक मंदी के दौर में भी यह उद्योग अपनी गति से आगे बढ़ता रहा। न तो काम में कमी आई और न ही दरों में कोई गिरावट। आज भी अंग्रेजी से फ्रेन्च और जर्मन भाषा में अनुवाद का व्यवसाय सबसे प्रथम स्थान पर मांग में बना हुआ है। इसके बाद जापानी, कोरियाई भाषा तथा हिन्दी समेत अन्य एशियाई भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय अनुवादन हेतु विकसित हो रहा है।

अनुवादक बनना बड़ा आसान है, सही परीक्षा तब होती है जब आपको इस काम को निरंतर करना होता है। प्रत्येक अनुवाद प्रकल्प अपने आप में अलहदा होता है। उसके वाचक, उनकी भौगोलिक और सांस्कृतिक स्थिति, उपयोग किये जाने का समय और अन्य अनेक बिन्दुओं पर आधारित निर्देशों का पालन कर आपको अनुवाद करना होता है। उदाहरण के लिये, उच्च स्तरीय शोध संबंधी सामग्री के अनुवाद हेतु आपको अपना पूरा भाषा ज्ञान लगा देना होता है और नन्हे बच्चों के लिये निर्देश पुस्तिका का अनुवाद करते समय यथासंभव क्लिष्टता से बचते हुए सरल-सहज भाषा को अपनाना होता है।

वर्तमान समय में तकनीक को अनुवाद व्यवसाय का दोस्त भी माना जा रहा है और दुश्मन भी। गूगल ट्रान्सलेट, प्रॉम्प्ट, बेबीलोन जैसी सेवाएं सॉफ्टवेयर की मदद से तत्काल अनुवाद मुहैया करवा देती है। इसके कारण यह चिंता व्यक्त की जाती है कि जल्द ही अनुवादकों की कोई आवश्यकता नही रह जाएगी। परंतु हो इसके विपरीत रहा है। इस तकनीकी सहायता की मदद से अनुवादक बेहतर काम कर पा रहे हैं, अपनी गुणवत्ता को विकसित कर रहे हैं और कम समय में पूरे निर्देशों के पालन के साथ अपने प्रकल्प पूरे कर पा रहे हैं।

अनुवाद से जुड़े अन्य व्यवसाय हैं इन्टरप्रेटर या दुभाषिया, रि-राईटिंग या पुनर्लेखन, लोकलायजेशन या स्थानीयकरण, सब टायटलिंग या उप शीर्षक जिन्हे अक्सर हम फिल्मों में देखते हैं। अपनी भाषा पर बेहतर अधिकार के साथ तकनीकी रुप से समृद्ध व्यक्ति आज अनेक प्रकार से अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकता है।

वर्तमान समय में अनुवादन के क्षेत्र में भी विशेष योग्यता को महत्व दिया जाने लगा है।  कई अनुवादक हैं जो केवल पेटेन्ट्स, शोध, कानूनी सामग्री या शिक्षा से संबंधित अनुवाद करते हैं। ज़ाहिर सी बात है कि जब आप विशेषज्ञता प्राप्त कर लेते हैं, तब आपको इसका प्रतिदान भी बेहतर मिलता है।

कुल मिलाकर अनुवाद आज की आवश्यकता ही नही विश्व नागरिक बनने की दिशा में आपका पहचान पत्र है। भारतीय होने के नाते हिन्दी के प्रति हमारा कर्तव्य सिर्फ १४ सितंबर के आस पास पुस्तक मेले आयोजित करना न होकर हिन्दी में पठन पाठन और शुद्ध बोलचाल को बढ़ावा देने का भी होना चाहिये। शुद्ध और अपने भाव पूरी तरह से व्यक्त करने वाली शालीन भाषा, एक संस्कार के समान है। यदि यह दूसरी संस्कृति से हमारा परिचय करवाती है, हमारी पहचान बनती है और जीवन के सही मूल्यों की अभिव्यक्ति में हमारा साथ देती है, तब भाषा की शुद्धता के प्रति हमारा भी इतना कर्तव्य तो बनता ही है।

अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस, अपनी भाषा के प्रति गर्व करने, उसे वैश्विक स्तर पर ऊंचा उठाने हेतु किये जाने वाले प्रयत्नों का दिवस है, शब्दों के प्रति आभार का दिवस है।

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